Nisar Satelite——-
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने मिलकर अब तक का सबसे महंगा पृथ्वी-निगरानी मिशन लॉन्च किया है। इसे NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) Setelite नाम दिया गया है। 30 जुलाई 2025 को आँध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसे लॉन्च किया गया था….
यह उपग्रह जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय बदलावों की निगरानी के लिए बनाया गया हैं
इसको बनाने में लगभग ₹10,000 करोड़ (1.3 बिलियन डॉलर) लगे हैं इसका वजन 6,500 किलोग्राम हैं इसमें रॉकेट GSLV Mk-II का प्रयोग किया गया |
Nisar satellite: जानकारी हो कि यह अब तक का सबसे महंगा Earth Observation Satellite है
बात करें इसकी तकनीकी विशेषताओं की तो इसमें दोहरे रडार बैंड (L-बैंड और S-बैंड) का उपयोग किया गया है, 12-मीटर मेश एंटीना जो की अंतरिक्ष में सफलता पूर्वक खुल चुका है.. इसमें 9-मीटर बूम, SweepSAR तकनीक, और 242 किलोमीटर चौड़े क्षेत्र को स्कैन करने की क्षमता, के साथ 4 मिलीमीटर तक की भू-परिवर्तन का पता लगाने की क्षमता है… यह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा।
यह ऑपरेशन अक्टूबर 2025 से पूरी तरह सक्रिय होगा।
इस मिशन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन की (ग्लेशियर पिघलना, समुद्र स्तर बढ़ना)
प्राकृतिक आपदाएँ (भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, बादल फटना)
कृषि और जल संसाधन (खेती की स्थिति, जल भंडारण)
वन और पर्यावरण (जंगलों की कटाई) की निगरानी करना है…
यह मिशन NASA → L-band radar और communication system
तथा ISRO → S-band radar, spacecraft bus और launch भारत और अमेरिका की तकनीकी साझेदारी की एक बड़ी उपलब्धि है।
बात करें इसके प्रभाव और महत्व की तो यह मिशन आपदा प्रबंधन और चेतावनी सिस्टम में सुधार करेगा साथ ही जलवायु परिवर्तन पर सटीक अध्ययन करना आसान होगा कृषि और पर्यावरण नीतियों के लिए सटीक डेटा मिल सकेगा और वैज्ञानिक रिसर्च के लिए नई जानकारी मिलेगी
Disclaimer
यह जानकारी ISRO और NASA की आधिकारिक रिपोर्ट्स पर आधारित है। मिशन अभी शुरुआती चरण में है.. इसके नतीजे आने वाले महीनों में और अच्छी तरह ज्ञात होंगे…
